हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे कुरआन: तफसीर सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قُلْ أَتُحَاجُّونَنَا فِي اللَّـهِ وَهُوَ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ وَلَنَا أَعْمَالُنَا وَلَكُمْ أَعْمَالُكُمْ وَنَحْنُ لَهُ مُخْلِصُونَ क़ुल अतोहाज्जूनना फिल्लाहे वा होवा रब्बोना वा रब्बोकुम वलना आमालोना वा लकुम आमोलोकुम वा नहनो लहू मुख़लेसून (बकरा 139)
अनुवादः ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहोः क्या तुम हमसे अल्लाह के बारे में झगड़ते हो? यद्यपि वह हमारा रब और तुम्हारा रब है, और हमारे कर्म हमारे लिए हैं और तुम्हारे कर्म तुम्हारे लिए हैं, और हम वही हैं जो सच्चे दिल से उसकी बन्दगी करते हैं।
क़ुरआन की तफसीरः
1️⃣ अल्लाह तआला के बारे में सद्रे इस्लाम के मुसलमानों के साथ अहले किताब की चर्चा, हालांकि यह चर्चा व्यर्थ और फलहीन थी।
2️⃣ अल्लाह से निकटता किसी गोत्र या जाति तक सीमित नहीं है।
3️⃣ मुसलमान केवल अल्लाह के सामने सज्दा करते हैं और उसकी इबादत करते हैं।
4️⃣ अहले किताब और मुसलमानों के बीच अल्लाह और उसके पैगम्बरों के चुनाव, के बारे में चर्चाओं की निरर्थकता का प्रमाण मुसलमानों की एकेश्वरवाद में ईमानदारी और आस्था है।
5️⃣ धर्म विरोधियों द्वारा उठाई गई शंकाओं का उत्तर देना जरूरी है।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा
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